सरल स्वभाव से आप सबका मन जीत सकते हो चालाकियां हर जगह नहीं चलती। जीवन में असली सफलता (Success) कैसे मिलेगी इस कहानी (Story) से समझ सकते हैं।
व्यक्ति का सरल स्वभाव उसको वहां तक पहुंचा सकता है जहां तक जाने के लिए लोग अपनी जिंदगी लगा देते हैं। आज कि कहानी में आपको पता चलेगा कि सरलता से क्या हासिल कर सकते हैं।
चालाकियां करने वाले लोगों को अन्त में पछताना पड़ता है, ऐसे लोग अपना सम्मान (Respect) गंवा देते हैं और ऐसे लोगों पर कोई भी व्यक्ति भरोसा नहीं करता।
सरल स्वभाव से तो भगवान को भी पाया जा सकता है, सनातन धर्म में इसके अनेकों उदाहरण मौजूद हैं। जैसे- भगवान श्री कृष्ण को सरल स्वभाव से भजने वाली मीरा, भगवान श्री राम जी का इंतजार करने वाली सबरी जिन्होंने भगवान श्री राम जी को अपने झूठे बेर तक खिला दिये ये सोच कर कि कहीं ये बेर भगवान को खट्टे न लगें।
ये सब सरल स्वभाव के कारण ही संभव है। जिन प्रभू को पाने के लिए ऋषि मुनि सालों तक तपस्या करते हैं उन्हें एक सरल स्वभाव की भोली सबरी ने अपने सरल स्वभाव से बिना तप के प्राप्त कर लिया।
और यही बात श्री रामायण जी में एक चौपाई के माध्यम से बताई गई है।
निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥ |
- भावार्थ
जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल-छिद्र नहीं सुहाते। यदि उसे रावण ने भेद लेने को भेजा है, तब भी हे सुग्रीव! अपने को कुछ भी भय या हानि नहीं है॥
एक गुरू से ज्ञान वही विद्यार्थी ले पाता है जाे सरलता का भाव रखता है और जो व्यक्ति ज्यादा चालाकी बताता है ज्यादा होशियार बनता है वह ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाता।
हिन्दी कहानी ( Best motivational story in Hindi) -
बहुत समय पहले एक गांव में एक पंडित परिवार रहा करता था, उस परिवार में चार सदस्य थे माता पिता और दो लड़के उनका जो सबसे छोटा लड़का था उसका नाम गणेश था।
छोटा लड़का जो था उसका स्वभाव बहुत ही सरल था और वह बचपन से ही भगवान को अपने साथी की तरह मानता था।
वह पंडित परिवार थोड़ा गरीब था, लेकिन जो गणेश था उसको बहुत ज्यादा भूख लगती थी कभी कभी तो वह चारों सदस्य का खाना अकेले ही खा जाता था।
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उसके घर वाले उससे बहुत परेशान हो गए कि ये इतना खाना क्यूं खाता है और इसे इतनी भूख क्यूं लगती है। एक दिन उनके घर पर एक साधु आए तो गणेश के परिवार वालों ने उनको सब बात बताई, तो साधु जी ने बोला कि इसे मेरे साथ आश्रम भेज दो ये वहां पर साधुओं की सेवा भी कर लेगा और वहां अच्छे से भोजन भी कर लेगा।
साधु जी की बात मान कर गणेश को उनके साथ भेज दिया, अब रास्ते में गणेश को फिर भूख लग आई तो साधु जी ने उन्हें खाना निकाल कर दे दिया।
देखते ही देखते गणेश सारा भोजन खा गया साधु जी ने पूछा कि तुम इतना खाना क्यूं खाते हो तो वह बोलता है कि मुझे नहीं पता जब तक मेरा पेट नहीं भरता तब तक मैं खाता रहता हूं।
साधु जी वहां से फिर आश्रम के लिए निकलते हैं और कुछ दूर चलने के बाद वह दोनों आश्रम पहुंच जाते हैं।
आश्रम में गणेश को खाना बनाने के लिए रख लिया गया और वह सबसे बाद में खाना खाता ऐसे ही कई दिन निकल गए एक दिन साधु जी ने गणेश से बोला कि आज खाना नहीं बनेगा।
तो गणेश हैरानी से पूछता है क्यों?
साधु जी बोलते हैं कि आज राम नवमी है और इस आश्रम का नियम है कि यहां पर सभी लाेग इस व्रत को करते हैं तो हम सब राम नवमी का व्रत करेंगे इसलिए हम सब लाेग खाना नहीं खाएंगे तो खाना बनेगा भी नहीं।
गणेश साधु जी से बोलता है कि मैं तो भूखा नहीं रह पाऊंगा। तो साधु जी उससे बोलते हैं कि एक काम करो आश्रम से कुछ ही दूर एक नदी है उसके पास जाकर तुम खाना बनाना और भगवान श्री राम जी को भोग लगाना, और भोग लगा कर फिर तुम भी खाना खा लेना।
गणेश खाने बनाने का सामान बांध कर ले जाता है और नदी के पास जाकर नहा धो कर खाना बनाकर रेडी हो जाता है।
गणेश को बहुत तेज भूख लगने लगती है वह खाना खाने ही वाला था कि उसे साधु जी की बात याद आ जाती है कि पहले भगवान श्री राम जी को भोग लगाना है। अब वह भगवान को भोग लगाने लगता है और बोलता है भगवान राम जी आईये और भोग लगाईए।
बहुत समय निकल गया लेकिन भगवान नहीं आए तो वह और सरल भाव के साथ बुलाने लगा तो भगवान माता सीता से बोलते हैं कि ये कितना भोला भक्त है चलो इस भक्त से मिल कर आते हैं।
गणेश भगवान श्री राम जी और माता सीता को देख कर सोचता है कि मैंने तो सिर्फ भगवान श्री राम जी को बुलाया था लेकिन ये माता सीता को भी लेकर आ गए और मैंने खाना तो सिर्फ 2 लोगों का ही बनाया है।
अब गणेश भगवान से बोलता है कि आप भोग लगाईए तो भगवान इस सरल भाव को देख कर प्रसन्न हो जाते हैं और पूरा भोजन खा जाते हैं, और गणेश काे आशीर्वाद देकर चले जाते हैं।
गणेश को खाने के लिए कुछ नहीं बचता तो वह भूखा ही रह जाता है और जब शाम को आश्रम पहुंचता है तो साधु जी उससे पूछते हैं कि तुमने खाना खा लिया।
तो गणेश बोलता है कि कहां से खा लिया भगवान जी आए थे माता सीता जी के साथ पूरा खाना खा गए । तो साधु जी चौंक जाते हैं कि ऐसा थोडी होता है। साधु जी को लगा कि ये और खाना खाने के चक्कर में झूठ बोल रहा है।
तो साधु जी गणेश से बोलते हैं कोई बात नहीं और उसे सोने के लिए बोल देते हैं।
एक साल बाद जब दोबारा से राम नवमी आती है तो इस बार भी सब व्रत रखते हैं और गणेश नदी के पास जाने की तैयारी करने लगता है लेकिन वह इस बार ज्यादा खाना रख कर ले जाता है ताकि उसके लिए खाना बच जाए।
इस बार जब वह खाना तैयार करके भगवान को भाेग लगाने बुलाता है तो भगवान के साथ माता सीता और लक्ष्मण जी भी आते हैं अब गणेश का दिमाग खराब हो जाता है क्योंकि गणेश ने खाना तीन ही लोगों का बनाया होता है।
भगवान पूरा खाना खाके चले जाते हैं, गणेश फिर से भूखा रह जाता है जब वह आश्रम पहुंचता है तो फिर साधु जी पूछते हैं कि भाेजन हो गए तो गणेश कहता है कि इस बार भगवान माता सीता के साथ लक्ष्मण को भी लेकर आए थे फिर मेरे लिए खाना नहीं बचा तो साधु जी सोचते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है।
आज तक हमने भगवान को देखा तक नहीं है और ये बोल रहा है कि भगवान सामने बैठ कर खाना खा गए। साधु जी को गणेश की बात पर यकीन नहीं हो रहा था तो उन्होंने सोचा कि इस बात का पता लगाया जाये।
साधु जी कुछ दिन बाद गणेश को फिर भगवान को भोग लगाने नदी के पास भेजते हैं तो वह जाता है और फिर खाना तैयार करता है और भगवान को भोग लगाने बुलाता है, लेकिन उसे यह पता नहीं रहता कि साधु जी दूर से उसे देख रहे होते हैं।
कुछ समय हो जाता है फिर भगवान श्री राम जी माता सीता जी के साथ साथ लक्ष्मण जी और हनुमान जी को भी अपने भक्त के पास आते हैं।
इस बार गणेश ने तीन लोगाें के लिए खाना बनाया था लेकिन वह हनुमान जी को और साथ ले कर आ जाते हैं तो गणेश भगवान श्री राम जी से बोलता है कि भगवान आप पहले ही बता दिया करो कि किस को साथ लेकर आओगे आप सारा भोजन खा जाते हो और मैं भूखा ही रह जाता हूं।
गणेश के इस भोलेपन से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और यह सब देख कर साधु जी भी दंग रह गए और गणेश से बोलते हैं कि जिन प्रभू को पाने के लिए हम सालों तपस्या करते हैं हमें तब भी दर्शन नहीं हो पाए लेकिन तुम्हारे भोलेपन और सरल स्वभाव से भगवान को स्वयं भोग लगाने आना पड़ा।
सीख (Moral in Hindi) :-
- जिस प्रकार गणेश ने भगवान श्री राम जी को बुलाने के लिए लगातार प्रयास किया और जब तक वह नहीं आए तब तक लगातार प्रयास करता रहा लेकिन भगवान को साक्षात भोग लगाने के लिए बुला ही लिया अपने सरल स्वभाव और लगातार प्रयास के द्वारा उसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य के प्रति लगातार प्रयास करना होगा।
- जीवन में सफलता (Success), हो सकता है चालाकियाें से मिल जाऐ लेकिन दुनिया में अपना नाम अमर करने के लिए आपको अपने स्वभाव को बदलना होगा, अपने स्वभाव को सरल बनाना होगा तभी आपको असली सफलता मिलेगी। जैसे :- सर रतन टाटा।
- नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस (Network marketing business) में भी यही होता है कि जो हमारे गुरू होते हैं उनकी बात को अगर व्यक्ति बिना दिमाग लगाए मन लगा कर काम करता है तो उस व्यक्ति को जल्दी सफलता (Success) मिल जाती है।
- जीवन में सफल होने के लिए भी आपको अपने ग्राहक की निर्मल मन से सेवा का भाव रखकर मदद करनी चाहिए। अपने गुरू की बातों का सही से अनुसरण (Follow) करना चाहिए।
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